मेरठ के राधा गोविंद पार्क में आयोजित श्री मद् भागवत में गोवर्धन पर्वत, राधा एवं गोपियों के साथ श्रीकृष्ण की रासलीला एवं श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह के प्रसंग का वर्णन
मेरठ। आचार्य राधा चेतन स्वामी ने कहा कि, ‘ब्रजराज किशोरी राधा और गोपियों के साथ भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला वास्तव में आत्मा से परमात्मा का मिलन है।’ आचार्यश्री मेरठ के माधवपुरम सेक्टर 1 स्थित राधा गोविंद पार्क में छठे दिन शनिवार को दूर दूर से आये श्रद्धालुओं को श्री मद् भागवत कथा का रसपान करवा रहे थे। उन्होंने कहा कि,’कलयुग में बहुत से मूढ़ बुद्धि के लोग गोपियों के साथ भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम और रासलीला का गलत अर्थ निकाल लेते हैं। वे कहते हैं कि भगवान खुद तो इतनी गोपियों से रास लीला रचाते हैं और हमें किसी स्त्री के साथ देख लें तो लोग बाते बनाते हैं। उन्हें यह नहीं पता कि भगवान का गोपियों से प्रेम निस्वार्थ है। उसमें काम वासना नहीं है। उसमें एक दूसरे के प्रति त्याग की भावना है। यह प्रेम ही आत्मा से परमात्मा का मिलन कहलाता है।’ आचार्य श्री ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति मीरा के अतिशय प्रेम का भी सुमधुर वाणी में भजनों के माध्यम से वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि, ‘श्री मद् भागवत की कथा हमें सिखाती है कि जब हम भगवान से अतिशय प्रेम करते हैं तो भगवान भी भक्तों के वश में हो जाते हैं। इसके विपरीत यदि भक्त में मैं यानि अहंकार की भावना आ जाती है तो भगवान स्वत: उससे दूर चले जाते हैं। जब भगवान गोपियों के अत्यंत निकट हो गए तो उनमें अहंकार उत्पन्न हो गया और वे भगवान श्रीकृष्ण से सेवा की उम्मीद करने लगीं। इस पर भगवान श्रीकृष्ण अंतर्ध्यान हो गए। वे केवल राधा जी को नजर आते थे। एक दिन राधाजी को भी इस बात का घमंड हो गया कि भगवान मुरली मनोहर तो सिर्फ उन्हीं के हैं। उसी समय भगवान के चाचा अक्रूरजी उन्हें लेने के लिए मथुरा से आ गए। भगवान अपने बड़े भाई बलराम व अक्रूर के साथ मथुरा चले गये।’
आचार्यश्री ने कहा कि, ‘भगवान श्रीकृष्ण की कथा श्रवण करने पर पता चलता है कि वे निर्मोही थे, जबकि त्रेता युग में जब वे राम के रूप में थे तो वे बड़े ही माया मोह वाले थे। उन्होंने पिता के वचन की मर्यादा का पालन करने के लिए पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनगमन किया था। इसके विपरीत मां यशोदा के साथ ही ब्रजराज किशोरी राधा और गोपियों से अनन्य प्रेम करने वाले भगवान श्रीकृष्ण सबको छोड़कर पहले मथुरा तथा उसके बाद द्वारिका चले गये।’
आज की कथा में कथावाचक आचार्य राधा चेतन स्वामी ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति रुक्मिणी के प्रेम और भगवान के साथ उनके विवाह के प्रसंग का वर्णन किया। इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण एवं रुक्मिणी जी की सुंदर झांकी प्रस्तुत की गयी तथा उन पर फूलों की वर्षा कर फूलों की होली खेली गयी। बड़ी संख्या में आई महिलाओं ने भगवान श्रीकृष्ण एवं रुक्मिणी के विवाह के मौके पर नृत्य प्रस्तुत किया तथा कन्यादान किया। भगवान श्रीकृष्ण के रूप में कली गुप्ता तथा राधा के रूप में कशिश गोयल ने सुंदर अभिनय किया।
शनिवार को यजमान के रूप में ललित जैन, मंजू जैन,धर्मेंद्र प्रजापति, सीमा प्रजापति, चरण सिंह अरोरा, श्रीमती चंद्रकांता अरोरा, अंकित अरोरा, अनीता अरोरा, विवेक लोधी और रिंकी लोधी ने पूजा अर्चना की।
इस अवसर पर संयुक्त व्यापार संघ मेरठ के अध्यक्ष नवीन चंद गुप्ता, श्रीमती मिथलेश गुप्ता, ललित जैन, मंजू जैन, पारुल गुप्ता, रुचि गोयल, अनिल गुप्ता, सीमा गुप्ता, आयुषि गुप्ता, मधुर अग्रवाल, दीपक अग्रवाल, शोभा अग्रवाल, ब्रजमोहन रुहेला, रितिका रुहेला, शिव कुमार रुहेला, ममता रुहेला, अशोक रुहेला, शिवम रुहेला, शिवानी, अंशु अवस्थी, अवनीश अवस्थी, संजय गुप्ता, मीनू गुप्ता, महंत तिवारी, अंजनी त्रिवेदी, सतीश यादव, सुमन यादव, सुमन, जितेंद्र लोधी, रेनू लोधी, मुकेश कुमार, आशा, ज्योति अग्रवाल, अंजू सिंघल, अतुल शर्मा, सीमा शर्मा, रीना, श्रीमती विजय बाला अग्रवाल, रचना शर्मा, रोहताश गिरी,अर्चना यादव, बबीता सिंघल, सीमा कश्यप, किरन शर्मा, जेपी गोयल, बीना गोयल, शालिनी भाटी, राजीव मित्तल, संजय मित्तल, विजेंद्र चौहान अंकित अरोरा, विमला, अंजना मित्तल समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।