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इंसान की जुबान ही सबसे बड़ी मित्र और शत्रु है- स्वामी आशुतोष नन्द जी

राजेश द्विवेदी
अर्जुन भूमि
बिहार – एकौना घाट के श्री शंकराचार्य मठ बरहरा भोजपुर में हो रहे श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आज दूसरा दिन है , आज हमने सनातन संस्कृति से उपजी ज्ञान परंपराओं पर चर्चा की, ज्ञान परंपराओं के माध्यम से विभिन्न अवतारों पर चर्चा हुई। हमारे ज्ञान परंपरा में उपनिषद का महत्वपूर्ण स्थान है जिसका अर्थ होता है- गुरु के समय बैठकर ज्ञान प्राप्त करना, इंसान की जुबान ही सबसे बड़ी मित्र और शत्रु है- स्वामी आशुतोष नन्द जी ने कही,
एकोना घाट मे चल रही श्रीमद्भागवत कथा मे
बनारस के कैलाश मठ के महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी आशुतोष नंद जी महाराज ने कहा कि मर्यादा पुरुसोत्तम श्री राम ही कृष्ण है ओर कृष्ण ही श्री राम, जीवन मे सदैव व्यक्ति को सतमार्ग पर चलना चाहिए,
ब्यास पीठ से स्वामी आशुतोष नंद जी महाराज ने बताया कि इंसान की ज़ुबान ही सबसे बड़ी मित्र और शत्रु है। कथा में महाराज जे एक प्रसंग सुनाया। कहा, एक कौआ एक दिन उदास होकर कहीं जा रहा था। कोयल ने उससे पूछा, भाई यू मुंह लटका कर कहां जा रहे हो। कौए ने कहा, बहन इस गांव के लोग अच्छे नहीं हैं। यहां कोई भी मुझे देखना नहीं चाहता, जिसके घर की छत पर बैठता हूं तो वह मुझे देखते ही डंडा दिखाते हैं, कंकड़ मारते हैं। मैं किसी दूसरे गांव में जा रहा हूं। कोयल ने कहा भाई ऐसा नहीं है, लोग बुरे नहीं है तुम्हारी ज़ुबान ठीक नहीं है। मैं जब बोलती हूं तो इसी गांव के लोग बड़े प्रेम से मुझे सुनते हैं, क्योंकि मैं मीठा बोलती हूं और तुम जब भी बोलते हो कड़वा ही बोलते हो। जब तक तुम कड़वा बोलना नहीं छोड़ोगे तब तक कोई भी तुम्हें अपनाने वाला नहीं है। महाराज ने कहा कि अगर मनुष्य भी चाहता है कि सब प्रेम करे तो पहले अपनी ज़ुबान ठीक करो। ज़ुबान ठीक होगी तो पराये भी अपने हो जाएंगे, नहीं तो अपने भी पराये हो जाएंगे। कथा के उपरांत आरती कर प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर सोरो सुकर क्षेत्र श्री वराह मंदिर के स्थान प्रमुख स्वामी विदेहा नंद जी महाराज, बनारस कैलाश मठ के कार्यालय प्रभारी स्वामी राघवेंद्र जी महाराज,मठ प्रबंधक जसराज गिरी जी महाराज,आचार्य बासुकीनाथ पाठक, कथा सयोजक संजय सिंह मुखिया प्रतिनिधि समाजसेवी सहित आदि लोग उपस्थिति थे,

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