यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि, उत्तराखण्ड सरकार की संवेदनशीलता समाप्त हो गई है वह हाल की केदारनाथ आपदा पीड़ितों की कोई सुध नहीं ले रही है। यशपाल आर्य ने यह आरोप 31 जुलाई 2024 को केदारनाथ आपदा में गौरीकुण्ड से गायब चल रहे 22 वर्षीय युवा हिमांशु नेगी के परिजनों से मिलने के बाद लगाया। हिमांशु नेगी गैरसैण विधानसभा परिसर से लगे गांव परवाड़ी का निवासी है।
नेता प्रतिपक्ष को हिमांशु नेगी के पिता नरेन्द्र सिंह नेगी ने बताया कि केदारनाथ में आपदा के शाम से हिमांशु का फोन न लगने पर वे 3 अगस्त 2024 को सोनप्रयाग पंहुचे। वहां उन्होनें थाना सोनप्रयाग में अपने बेटे की गुमशुदगी की सूचना दी। परिजनों ने बताया कि , उन्हें बताया गया है कि, 12 अगस्त को हिंमाशु की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हो पायी है। परिजनों का आरोप है कि, सरकार और प्रशासन ने उसके बाद उनके बेटे को खोजने का प्रयास करना तो दूर उन्हें कोई सूचना भी नहीं दी है। हिमांशु के परिजनों ने बताया कि, प्रशासन हमेशा एक ही जबाब दे रहा है कि, रेस्क्यू जारी है।
यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि, अभी तक सरकार ने केदारनाथ आपदा में हताहत , गुमशुदा , घायलों और बीमारों की कोई सूचना सार्वजनिक नहीं की है। हिमांशु के परिजनों की तरह देश भर से सनातनी आस्तिक अपने परिजनों की खोज के लिए सोनप्रयाग पंहुच रहे हैं। सरकार इन परेशान परिजनों की कोई सहायता करना तो दूर इनसे अमानवीय बर्ताव कर रही है। उन्होंने कहा कि , सरकार ने इस आपदा में घायल और बीमारों की भी क मदद नहीं की है लोग किसी तरह मरते-पड़ते अपना ईलाज कराने के लिए अस्पतालों में जा रहे हैं। जबकि पूर्व की परम्परा के अनुसार सरकार को आपदा पीड़ितों की मदद के लिए विशेष सेल बनाना चाहिए था जो आपदा के 20 दिन बाद अभी तक नहीं बना है।
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि, सरकार सूचनाओं को दबा कर स्वयं को पाक साफ साबित करना चाहती है लेकिन यह संभव नहीं है। नेता प्रतिपक्ष ने हिमांशु के दादा जमन सिंह नेगी, ताऊ धीर सिंह नेगी , मां , छोटी बहिन और अन्य परिजनों से मिलकर उन्हें ढाढस बंधाया और हर तरह की मदद करने का आश्वासन दिया।
नेता प्रतिपक्ष के साथ विधायक मदन बिष्ट और केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत भी थे।