– सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”
आखिर आ ही गई वो घड़ी जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार था। बहुतेरे लोगों का मानना है, कि यह नया वर्ष उनके जीवन में कुछ उपलब्धि जरुर उपलब्ध करायेगा। सामान्य जीवन में कुछ उलट फेर जरुर होगा। प्रायः हम सबकी यह आदत होती है कि हर नये वर्ष के आने पर कुछ गंदी आदतों को छोड़ने की कसमें खाते हैं जिसमें कुछ गिने चुने लोग तो सफल हो जाते हैं। अधिकतर पुनः उसी ढर्रे पर चलने लगते हैं, और फिर नये साल में वही वादा दोहराते हैं। कई महानुभाव नये साल पर नया कार्य, धन्धा एवं बिजनेस शुरू करना पसंद करते हैं। हर वर्ग में नये वर्ष के प्रति यह सम्मान पाया जाता है। चाहे वह बच्चे हों, विद्यार्थी, व्यापारी, युवा, बुद्धिजीवी, प्रौढ़, वृद्ध, महिला एवं प्रत्येक लोगों में ऐसी धारणा होती है। कि नये साल के शुभ मुहूर्त में शुरु किया जाने वाला काम हमेशा सफल होता है। तो चलिये हम लोगों की इस संबंध में नये वर्ष के प्रति क्या विचार एवं धारणायें हैं उन्हीं की जुबानी सुनते हैं।
स्थानीय गांधी चौक निवासी तीस वर्षीय गृहणी श्रीमती गौतरहीन यादव कहती हैं कि- “नया साल सबके लिये सुखमय हो। लोग अपने बुरी आदतों को छोडकर अच्छे काम करें यही मेरी भगवान से प्रार्थना है। बाकी अपने लिये क्या कहूं मैं न तो पढ़ी हूं न लिखना जानती हूं। रोज कमाना रोज खाना, यही ढर्रा है! जीवन का। यही सिलसिला मरते दम तक चलना है, ऊपर वाले से विनती है कि इसे ही कायम रखे। और कोई अपेक्षा नहीं है। जूना बिलासपुर शांति लाज के पास रहने वाली श्रीमती दुज बाई विश्वकर्मा जो आंगन बाड़ी केन्द्र में सहायिका के पद पर कार्य करती हैं, उन्होंने नये वर्ष का स्वागत करते हुये कहा कि- नये साल में हमें सिद्धांत बनाकर काम करना होगा, जिससे हमारा नाम हो। हम अच्छा काम करें। मैं नये वर्ष में सोच रही हूं जहां मैं कमजोर हूं वहीं ज्यादा ध्यान देकर काम करूंगी ताकि मैं उन्नति की ऊंचाई तक पहुंच सकूं।
फजल बाड़ा में निवासरत पचासी वर्षीय वृद्धा श्रीमती बुधवारा बाई इस बारे में अपने उम्रानुसार बड़े परिपक्व हैं। वे कहती हैं कि- मेरे लिए नया साल क्या पुराना साल। मैं इन्हें नहीं जानती। मैं तो सिर्फ घर तक ही सीमित हूं। बस यही जानती हूं कि मेरे घर में सभी बच्चे, बेटा, बहू अच्छे से शांतिपूर्णक रहें। मैं उन सब को हमेशा खुश देखूं। यही मेरे लिये नये वर्ष का सबसे बड़ा उपहार होगा।
आईये अब कुछ बच्चों से चर्चा ।
करें।
बारह वर्षीय पांचवी की छात्रा कु. रानी यादव ने कहा- कि- हम बच्चों को आपस में एक दूसरे को फूल भेंट करना चाहिये। ग्रीटिंग कार्ड भी देना चाहिये। किसी से झगड़ा नहीं करना चाहिये। सभी साथ मिलकर खेलें और रोते हुये लोगों को हंसाना चाहिये। सात वर्षीय सीमा नये साल की शुरुवात खूब तरह-तरह के व्यंजन चाकलेट खाने से करना चाहती है। पढ़ाई से बिलकुल परहेज सिर्फ खेलकूद और मस्ती। सिटी डिस्पेंसरी के पास रहने वाली बारह वर्षीय अनपढ़ समरिन खान का कहना है ,कि- इच्छा तो है कि नया साल खूब धूमधाम से मनाऊं। जैसे खूब मिठाई खाऊं, खूब नाचूं गाऊं, सभी कोई झगड़ा भूलकर एक होते और मिलकर खुशी मनाते तो बहुत अच्छा लगता। पर मैं क्या करूं हम तो बहुत गरीब हैं। रोजी रोटी वाले हैं। कहां से ऐसी खुशियां मना सकते हैं। हमारे लिये क्या नया क्या पुराना सभी दिन एक जैसा ही है। खूब मनता है नया वर्ष सदर बाजार स्थित भावे रजब अली मेडिकल स्टोर में कार्यरत मोहम्मद अली भारमल का कहना है कि- नया वर्ष जीवन के भागदौड़ और रोजमर्ग की व्यस्तता के बीच खुशियां ढूंढ़ने का एक अच्छा जरिया है। इसी बहाने तो कम से कम हम लोगों से गले मिलते है. सभी से आशिर्वाद ले लेते हैं। थोड़ा नाच गा लेते हैं। उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि हां इस वर्ष आने वाला नया वर्ष जरूर कुछ विशेषता और आकर्षित करने वाला है। यानि एक साथ हमें एक जनवरी को नया दिन, नया साल और नयी उमंगों की सौगात मिलेगी।
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